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चंडीगढ़11 घंटे पहले
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चंडीगढ़ स्थित पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के भवन की फाइल फोटो। यहां हरियाणा में 8 साल पहले PGT की भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति का मामला विचाराधीन है।
- 2012 की PGT भर्ती में चयनित आवेदकों को नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने 22 मई 2015 को आदेश दिया था
- हरियाणा सरकार ने डबल बैंच में LPA दायर की तो फिर 19 अगस्त 2019 को वापस ले ली, पर अभी PGT को नियुक्ति नहीं मिली
हरियाणा में 8 साल पहले निकली PGT की पोस्ट पर चयनित हो चुके डीम्ड यूनिवर्सिटी के आवेदकों को हाईकोर्ट ने राहत प्रदान की है। हालांकि इस मामले में हाईकोर्ट के सिंगल बैंच के आदेश को नहीं मानने पर कंटेंप्ट कोर्ट ने सरकार को नियुक्ति देने का आदेश दिया था। शुक्रवार को ही इस मामले में सरकार की तरफ से जस्टिस अरुण मोंगा की अदालत में रिव्यू पिटीशन लगाई गई। पहले ही दिन की सुनवाई में सरकार की यह याचिका खारिज हो गई।
बता दें कि 2012 में निकली PGT की भर्ती में चयनित हो चुके सैकड़ों आवेदकों को केवल इसलिए नियुक्ति नहीं दी गई थी कि उनकी डिग्री डीम्ड यूनिवर्सिटी से थी। इस मामले को लेकर अभ्यर्थी हाईकोर्ट में चले गए। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने 22 मई 2015 को डीम्ड यूनिवर्सिटी डिग्री धारकों को सशर्त नियुक्ति दिए जाने का आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ हरियाणा सरकार ने डबल बैंच में LPA दायर कर दी थी। फिर 19 अगस्त 2019 को सरकार ने अपनी याचिका वापस ले ली थी, लेकिन बावजूद इसके चयनित PGT को नियुक्ति अब तक नहीं दी गई। इन अभ्यर्थियों में IASI यूनिवर्सिटी राजस्थान, बेंगलुरु यूनिवर्सिटी, विनायक मिशन यूनिवर्सिटी तमिलनाडु और JRN विद्यापीठ यूनिवर्सिटी राजस्थान से स्नातकोत्तर करने वाले आवेदक शामिल हैं। इन यूनिवर्सिटी से डिग्री करने वाले आवेदकों की जांच भी छह साल पहले करवाई गई थी, जिसमें डिग्री सही पाई गई थी।
कुरुक्षेत्र के प्रशांत शर्मा ने हाईकोर्ट के नियुक्ति देने के फैसले को न मानने पर अवमानना याचिका लगा दी। प्रशांत शर्मा ने कहा कि सभी दस्तावेज सही होने और पूरी प्रक्रिया को पास करने के बावजूद नियुक्ति नहीं मिल पा रही है। पिछले कई साल से हाईकोर्ट में नियुक्ति पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हाईकोर्ट के फैसले को भी सरकार नहीं मान रही। इसके चलते अब अवमानना याचिका दायर की गई है। प्रशांत शर्मा ने कहा कि उनके साथ चयनित होने वाले दूसरी यूनिवर्सिटी के आवेदक नौकरी कर रहे हैं और धक्के खा रहे हैं। यह पूरी तरह से अन्याय है। आदेश लागू नहीं किया तो कर्मचारी चयन आयोग के सचिव और शिक्षा विभाग के निदेशक पेश होंगे।
डीम्ड यूनिवर्सिटी के चयनित PGT आवेदकों की वकालत कर रहे सुरेश कौशिक ने बताया इस याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस निर्मलजीत कौर की पीठ ने सिंगल बैंच के 22 मई 2015 के आदेश को लागू करने को कहा है, वहीं अगर आदेशों को लागू नहीं किया जाता तो हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के सचिव और शिक्षा विभाग के निदेशक को हाईकोर्ट में पेश होना होगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 फरवरी 2021 को होगी। दूसरी ओर इस आदेश के खिलाफ शुक्रवार को सरकार ने हाईकोर्ट में एक बार फिर रिव्यू पिटीशन लगा दी। जस्टिस अरुण मोंगा की अदालत ने इस पिटीशन को खारिज कर दिया।