नई दिल्ली: भारत में जब कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगाई जाएगी तो ये अपने आप में एक रिकाॅर्ड होगा. कोरोना वैक्सीनेशन (Corona Vaccination) दुनिया का अब तक का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा. एक अनुमान के मुताबिक भारत में कोरोना (Coronavirus Vaccine) की वैक्सीन लगाने के लिए पहले चरण में ही 3 लाख स्वास्थ्य कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी. जिसमें 1 लाख प्रशिक्षित स्टाफ और 2 लाख वाॅलेंटियर शामिल होंगे. ये आंकड़ा सुनने में बड़ा जरूर है लेकिन वैक्सीनेशन का एक बड़ा नेटवर्क भारत में पहले से तैयार है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता देश है और भारत का टीकाकरण अभियान भी इतना बड़ा है कि कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए भारत को उसमें थोड़ा ही और इजाफा करने की जरूरत होगी. आज की हमारी खबर कोरोना वैक्सीन लगाने की तैयारियों का Reality Check भी है.
भारत में कोरोना वैक्सीन (Coronavirus Vaccine) लगाए जाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. देश वैक्सीन का इंतज़ार कर रहा है और भारत का हेल्थ केयर सिस्टम इस वक्त आपको जान बचाने वाला टीका लगाने की तैयारियों में युद्दस्तर पर जुटा है. भारत के अलग अलग शहरों में मेडिकल स्टाफ की ट्रेनिंग चल रही है. वैक्सीन का इंजेक्शन लगाने के लिए Syringe पहुंचनी शुरू हो गई हैं. कोल्ड चेन मैनेजमेंट सिस्टम को मजबूत किया जा रहा है. गांवों से लेकर शहरों तक हर कोई वैक्सीन का इंतज़ार कर रहा है.
2 लाख Syringe की पहली खेप
उत्तर प्रदेश का मेरठ ज़िला, यहां के सरकारी अस्पताल में फाइलें हो, कागज़ हो या हॉल में चल रही ट्रेनिंग, सब काम कोरोना वैक्सीन के लिए ही हो रहा है. दिल्ली में कैसे युद्द स्तर पर Syringe बनाए जाने का काम किया जा रहा है ये हमने आपको देश की राजधानी से दिखाया था. आज आपको ये भी दिखा देते हैं कि जो Syringe बन रही हैं, वो तेज़ी से भारत के अलग अलग शहरों में पहुंचनी शुरू हो चुकी हैं. उत्तर प्रदेश के मेरठ में 6 लाख Syringe की जरूरत बताई गई थी . 2 लाख Syringe की पहली खेप यहां आई है.
यहां कोल्ड चेन सिस्टम है यानी वो जगह जहां वैक्सीन को निर्धारित तापमान पर स्टोर करना जरूरी होता है. भारत में मंजूरी का इंतजार कर रही तीन वैक्सीन में से दो को यहां आसानी से स्टोर किया जा सकता है. कोरोना वैक्सीन के लिए जरूरी माइनस 30 डिग्री तक का तापमान यहां मेंटेन किया जा रहा है. हालांकि फाइज़र वैक्सीन (Pfizer Vaccine) के लिए जरूरी माइनस 70 डिग्री वाला स्टोरेज भारत में चुनिंदा जगहों पर ही है.
CoWIN एप का मोबाइल वर्जन
अब बात करते हैं कोविन एप की. इसमें एक लोगो (Logo) होगा, जिसे देखकर आप इसे अपने मोबाइल फोन में डाउनलोड करेंगे और वैक्सीन लगवाने के लिए अपना नाम, पता, मोबाइल नंबर और पहचान पत्र जैसी डिटेल्स दर्ज करेंगे. हालांकि सरकार ने अभी आम जनता के लिए कोविन (CoWIN) एप का मोबाइल वर्जन लॉन्च नहीं किया है. ये डेस्क टॉप वर्जन यानी बैकग्राउंड में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बनाया गया वर्जन है. इसमें फिलहाल उन हेल्थ केयर वर्कर्स का डाटा अपलोड किया गया है जिन्हें पहले चरण में वैक्सीन लगाई जाएगी. मेरठ में तकरीबन 16 हज़ार लोग हेल्थकेयर वर्कर्स को इस श्रेणी में शामिल किया गया है.
प्रशासन युद्दस्तर की तैयारियों में जुटा है. देखकर तो यही लगता है कि कल वैक्सीन आ गई तो परसों से लगाने के लिए देश तैयार है. दावे, वादे और तस्वीरें सब इस बात का भरोसा दिलाती हुई नज़र आ रही हैं.
इमरजेंसी अप्रूवल के लिए 3 कंपनियों की वैक्सीन
लेकिन दावों से थोड़ी ही दूर है ज़मीनी हकीकत. शहरों में जो तेजी नजर आई वो गांवों के हेल्थ केयर सेंटर तक अभी नहीं पहुंची है. गांव वालों को बीमार होने पर अस्पताल में डॉक्टर के मिलने का ही भरोसा नहीं होता, तो वैक्सीन उन तक पहुंचेगी ये वो कैसे मान लें.
भारत मे अभी 3 कंपनियों ने अपनी वैक्सीन के इमरजेंसी अप्रूवल के लिए DCGI यानी ड्रग कंट्रोलर के पास आवेदन किया हुआ है. उम्मीद है कि जल्द ही मंजूरी मिलने के बाद भारत मे भी 2021 के शुरुआत में वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा. सरकार और प्रशासन की तैयारियों के साथ गांवों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी थोड़ी रफ्तार की दरकार है क्योंकि, देश को कोरोना वैक्सीन का बेसब्री से इंतज़ार है.